
कोटा : खेड़ारूद्धा, खेरली बावड़ी और केशवपुरा में हुआ ऑफ साइट मॉक अभ्यास
- कच्चे मकानों से लोगों को निकालकर पहुंचाया शेल्टर हाउस
- एसडीआरएफ टीम ने किया विकिरण प्रभावितों का डी-कंटेमिनेशन
कोटा। रावतभाटा में दुर्घटना घटित हो चुकी है, कोई भी रावतभाटा की तरफ नहीं जाए, कृपया अपने घरों के अंदर ही रहें। अपने पशुओं को भी बाहर नहीं जाने दें। चेचट पुलिस थाने की गाड़ी से शुक्रवार प्रातः 7ः30 बजे माईक पर यह वॉर्निंग दी गई तो खेड़ारूद्धा गांव के लोग एकदम अलर्ट हो गए। थोड़ी देर में आपदा प्रबंधन की टीम, एम्बूलेंस और फायर ब्रिगेड की गाड़ियां राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय खेड़ारूद्धा पहुंची और लोगों को घर से बाहर न निकलने की सलाह देते हुए डी-कंटेमिनेशन की प्रक्रिया शुरु कर दी। रेडियोलॉजिकल विकिरण के प्रभाव से ग्रामीणों को बचाने के लिए उन्हें शेल्टर हाउस ले जाया गया। यह नजारा था शुक्रवार को राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के तत्वावधान में परमाणु एवं रेडियोलॉजिकल आपातकाल की तैयारियां परखने के लिए चित्तौड़गढ़ जिले के रावतभाटा उपखंड के 16 गांवों, कोटा जिले के 3 गांवों, बूंदी की तालेड़ा तहसील के एक गांव, मंदसौर (एमपी) एवं नीमच (एमपी) के एक-एक गांव में आपदा प्रबंधन से संबंधित ऑफ साइट मॉक ड्रिल का। कोटा जिले में खेड़ारूद्धा के साथ ही, खेरली बावड़ी एवं केशवपुरा में भी ऑफ साइट मॉक अभ्यास आयोजित किया गया। इन गांवों में सबसे पहले पुलिस की गाड़ी द्वारा वॉर्निंग दी गई एवं लोगों को अपने घरों में ही रहने की एडवाईज दी गई। विकिरण से प्रभावित लोगों को कच्चे घरों से राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एसडीआरएफ) के जवान राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय लाए जहां शेल्टर बनाया गया था। वहां प्रभावित लोगों पर विकिरण के प्रभाव की जांच करने के बाद उन्हें आयोडिन टेबलेट वितरित की गई।
मॉक अभ्यास के दौरान परमाणु बिजली घरों में किसी तरह की रेडिएशन की घटना होने की स्थिति में किस तरह की सावधानियां बरती जाएं और कैसे लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जाए। इसका पूर्वाभ्यास करते हुए एसडीआरएफ की टीम ने लोगों को बताया कि नाभिकीय और विकिरण आपातकाल की स्थिति में घर के अंदर रहें, दरवाजे, खिड़कियां बंद रखें, सभी खाद्य पदार्थों और पानी को भी ढककर रखा जाए और खुले में रखी हुई किसी भी खाद्य सामग्री का उपयोग नहीं करें। टीम ने ग्रामीणों को बताया कि विकिरण फैलने की स्थिति में प्रभावित क्षेत्र के लोगों चेहरे और शरीर को गीले रूमाल, तोलिये, साड़ी आदि से ढककर पक्के मकानों में शरण लें। खेड़ारूद्धा में एसडीआरएफ टीम ने ग्रामीणों को डी-कंटेमिनेशन की प्रक्रिया 9 स्टेप के माध्यम से समझाई।
इन गांवों में हुई ऑफ साइट मॉक ड्रिल- चित्तौड़गढ़ जिले के बाडोलिया, नागणी, जावराखुर्द, जावराकलां, थमलाव, जालमपुरा, खाजुपूरा, बडोदिया, धारडी, धावदखुर्द, बरखेड़ा, लसाना, रतनपुरा, मण्डेसरा, कोलपुरा एवं जालखेड़ा में, कोटा जिले के खेडारूद्धा, खेरलीबावड़ी एवं केशवपुरा गांव में, बूंदी जिले की तालेड़ा तहसील के धनेश्वर गांव में, मंदसौर (मध्य प्रदेश) की गांधीसागर हाईडल कॉलोनी और नीमच (मध्य प्रदेश) के पारिछा गांव में। ऑफ साइट आपदा प्रबंधन से संबंधित मॉक ड्रिल में खैराबाद तहसीलदार नेहा वर्मा, एबीडीओ राधाकृष्ण वर्मा, सरपंच, पटवारी, ग्राम विकास अधिकारी, कृषि पर्यवेक्षक, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, आशा सहयोगिनी, शिक्षक एवं नागरिक सुरक्षा के स्वयं सेवक शामिल हुए। आयोडिन टेबलेट वितरण चिकित्सा विभाग द्वारा किया गया।