
Kashmir में सुरक्षा बलों और आतंकियों के बीच मुठभेड़ तो सुनी होगी, अब नेताओं और पुलिस की ज़बानी मुठभेड़ भी देख लीजिये
जम्मू-कश्मीर में आतंकवादियों और सुरक्षा बलों के बीच मुठभेड़ की खबरें तो अक्सर आती हैं लेकिन अब पुलिस और राजनीतिक दलों के बीच जुबानी मुठभेड़ भी शुरू हो गयी है। दरअसल हाल में बढ़े आतंकी हमलों के चलते जम्मू-कश्मीर पुलिस के महानिदेशक स्थानीय राजनीतिज्ञों के निशाने पर आ गये हैं। पलटवार में पुलिस महानिदेशक ने भी नेताओं पर निशाना साध दिया है जिससे विवाद बढ़ गया है। हम आपको बता दें कि जम्मू-कश्मीर के मुख्यधारा के राजनीतिक दलों ने पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) आरआर स्वैन की उस हालिया टिप्पणी की आलोचना की है जिसमें उन्होंने कहा था कि क्षेत्रीय संगठन “राजनीतिक लाभ” के लिए आतंकवादी सरगनाओं के साथ गठजोड़ कर रहे हैं। स्वैन ने कहा था कि जब जम्मू-कश्मीर आतंकवादी गतिविधियों के कब्जे में था, तब पाकिस्तान ने नागरिक समाज के सभी महत्वपूर्ण पहलुओं में घुसपैठ कर ली थी और मुख्यधारा की पार्टियां राजनीतिक लाभ के लिए आतंकवादी 'नेटवर्क' के नेताओं को बढ़ावा दे रही थीं। स्वैन ने जम्मू में भारतीय प्रबंध संस्थान में छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि इन नेताओं के लिए मारे गए आतंकवादियों के घर जाना और सार्वजनिक रूप से उनके पीड़ितों के प्रति सहानुभूति प्रकट करना सामान्य बात थी। उन्होंने कहा था कि घाटी में तथाकथित मुख्यधारा या क्षेत्रीय राजनीति की बदौलत पाकिस्तान ने नागरिक समाज के सभी महत्वपूर्ण पहलुओं में सफलतापूर्वक घुसपैठ कर ली थी। स्वैन ने कहा था कि आतंकवाद में शामिल होने वाले लोगों को खत्म करने की तो अनुमति दी गई, लेकिन भर्ती करने और आतंकी वित्त प्रबंधन के लिए जिम्मेदार लोगों की कभी जांच नहीं की गई।
उनके इस बयान का विरोध करते हुए पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने जहां स्वैन की बर्खास्तगी की मांग की, वहीं नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) और पीपुल्स कॉन्फ्रेंस ने पुलिस प्रमुख की टिप्पणी को अनुचित और उनकी पार्टी के कार्यकर्ताओं द्वारा किए गए बलिदान का अपमान बताया। नेशनल कॉन्फ्रेंस ने देश के लिए अपने बलिदान को रेखांकित किया और स्वैन के बयान की निंदा की। नेशनल कॉन्फ्रेंस के कश्मीर जोन प्रमुख नासिर सोगामी ने मकबूल शेरवानी और मोहम्मद यूसुफ हलवाई का उदाहरण देते हुए आरोप लगाया कि डीजीपी ने मकबूल शेरवानी जैसे नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेताओं के महान बलिदान का अपमान किया है, जिन्होंने 1948 में कश्मीर में भारतीय सेना की लैंडिंग को आसान बनाने के लिए दो दिनों तक पाकिस्तानी हमलावरों को गुमराह किया था। उन्होंने कहा कि डीजीपी ने साथ ही मोहम्मद यूसुफ हलवाई का भी अपमान किया है, जिन्होंने 1989 में स्वतंत्रता दिवस पर आतंकवादी समूहों द्वारा ‘ब्लैकआउट’ के फरमान को मानने से इंकार कर दिया था। उन्होंने कहा कि नेशनल कॉन्फ्रेंस के 3,000 से अधिक नेताओं ने देश की अखंडता के लिए अपने प्राणों की आहुति दी है।