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हाइपरसोनिक मिसाइल से बढ़ेगा भारत की सैन्य शक्ति

हाइपरसोनिक मिसाइल से बढ़ेगा भारत की सैन्य शक्ति

नई दिल्ली। इन दिनों ईरान और इजरायल के बीच युद्ध जारी है जिसमें खास तौर पर हाइपरसोनिक मिसाइलों का उपयोग हो रहा है। वहीं, ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारतीय हथियार प्रणाली सफल रही, अब भारत भी चाहता है कि उसके पास हाइपरसोनिक मिसाइलों का जखीरा हो ताकि दुश्मन भारत की ओर देखने से पहले सौ बार सोचे। हाइपरसोनिक ग्लाइड मिसाइल का काम परीक्षण चरण में है ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत ने पाकिस्तान को धूल चटाई और दुश्मन के हवाई क्षेत्र, ड्रोन और वायु रक्षा प्रणाली को नुकसान पहुंचाया। डीआरडीओ के प्रमुख ने बताया कि भारत के पास भी जल्द हाइपरसोनिक ग्लाइड मिसाइल होंगी। अभी काम परीक्षण चरण में है।


भारत हाइपरसोनिक मिसाइल के विकास में पीछे नहीं है


डीआरडीओ प्रमुख कामत ने बताया कि भारत हाइपरसोनिक मिसाइल के विकास में पीछे नहीं है। पिछले साल, डीआरडीओ ने ओडिशा के तट से दूर एपीजे अब्दुल कलाम द्वीप से लंबी दूरी की हाइपरसोनिक मिसाइल का परीक्षण किया था। डॉ. कामत ने हाइपरसोनिक मिसाइल प्रणाली के बारे में बात की और कहा कि एजेंसी हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइलों का विकास कर रही है, जिसका अर्थ है कि ऐसी मिसाइलें जो हाइपरसोनिक गति से लगातार यात्रा कर सकती हैं।


एक दो साल में भारत के पास होगी हाइपरसोनिक ग्लाइड मिसाइल


डीआरडीओ प्रमुख ने कहा कि हाइपरसोनिक ग्लाइड मिसाइल काफी उन्नत चरण में है। हमने एक विकास परीक्षण किया है और हमें उम्मीद है कि अगले दो से तीन वर्षों में हम सभी विकास परीक्षण पूरे कर लेंगे और फिर इसे शामिल कर लिया जाएगा। ब्रह्मोस, आकाश सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल, डी4 एंटी-ड्रोन सिस्टम और देश के प्रमुख रक्षा अनुसंधान और विकास निकाय, डीआरडीओ द्वारा डिजाइन और विकसित की गई अन्य प्रणालियों ने असाधारण प्रदर्शन किया।


भारत विकसित की है दुनिया की सबसे तेज सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल


दुनिया की सबसे तेज सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल, ब्रह्मोस, रूस के साथ साझेदारी में विकसित की गई थी और संघर्ष के दौरान पाकिस्तानी हवाई क्षेत्रों पर हमला किया था। ब्रह्मोस सार्वभौमिक है - इसे जमीन, समुद्र और हवाई प्लेटफार्मों से लॉन्च किया जा सकता है। डॉ. कामत ने ब्रह्मोस कार्यक्रम में हुए विकास पर अपडेट साझा किया और कहा कि वैज्ञानिक इसकी रेंज बढ़ाने और इसका छोटा संस्करण बनाने पर विचार कर रहे हैं, जो Su-30MKI के अलावा अन्य लड़ाकू विमानों से भी जुड़ सके।

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